भ्रष्टाचार पर गहरी चोट कर गया हरिशंकर परिसाई का नाटक

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1. प्रदर्शनी के नौवे दिन भोला राम का जीव का मंचन

2. धूप खिलने से प्रदर्शनी में उमड़ी ग्राहकों की भीड़

गोरखपुर। पन्द्रह दिवसीय मण्डल स्तरीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के नौवे दिन सोमवार को नव्य इंडिया एण्टरटेन्मेन्ट के सौजन्य से सुप्रसिद्ध लेखक हरिशंकर परिसाई की चर्चित रचना भोला राम का जीव का मंचन किया गया। रंग निर्देशक राधेश्याम गुप्ता द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘भोला राम का जीव‘‘ में भ्रष्टाचार को लेकर गहरी चोट की गयी है।

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नाटक में भोलाराम अपनी सरकारी सेवा से रिटायर हो जाता है लेकिन उसका पेंशन नहीं मिलता है अपना पेंशन पास करवाने के लिए वह कार्यालय में भटकता रहता है आर्थिक तंगी उसकी बढ़ती जाती है, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। यमलोक से भोलाराम की आत्मा लापता हो जाती है जिसे ढूंढने के लिए देवर्षि नारद पृथ्वी पर आते हैं भोलाराम को ढूंढते-ढूंढते देवर्षि नारद भी समाज के भ्रष्टाचार से बहुत ही पीड़ित हो जाते हैं।

अंततः भोलाराम की आत्मा में मिलती है लेकिन वह तब तक स्वर्ग जाने को तैयार नहीं जब तक उसका पेंशन नहीं पास हो जाता क्योंकि उसका पेंशन पास होगा तो उसकी पत्नी, उनके बच्चों का पेट भरेगा उनके बच्चे का इलाज होगा। जब तक उसका पेंशन नहीं पास होगा उसकी आत्मा पेंशन की फाइलों में ही भटकी रहेगी। नाटक भोलाराम का जीव में यमराज व बड़े बाबू की भूमिका में मनीष श्रीवास्तव, चित्रगुप्त व अफसर-नवनीत जायसवाल, नारद- राधेश्याम गुप्ता, दूत व चपरासी-सनी सिंह, भोलाराम-अमित आनंद गुप्ता, ऑफिस का बाबू -अनिल गौड़, भोलाराम की पत्नी-शीलम राव, भोलाराम का बच्चा-कुलदीप श्रीवास्तव, महिला कर्मचारी-रितिका सिंह, नाइ-विजय सिंह ने सशक्त अभियन कर दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।

नाटक में बैकग्राउंड म्यूजिक- दुर्गेश, मेकअप-राधेश्याम, वस्त्र विन्यास-पंकज व अमृतानन्द का रहा। परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी श्री ए0के0 पाल ने नाटक के सभी कलाकारों को सम्मनित किया। खादी बोर्ड की तरफ से श्री विजय कुमार, श्री मार्कण्डेय सिंह, श्री शिवेन्द्र सिंह, आरिफ समेत अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

आठ दिनों 56.00 लाख की बिक्री

परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी श्री ए0के0 पाल ने बताया कि प्रदर्शनी में प्रतापगढ़ के अचार मुरब्बा, सीतापुर के दरी, भदोही के कालीन, जम्मू कश्मीर के ड्राई फ्रूट, उत्तराखण्ड के सदरी जैकेट, भागलपुर बिहार के सिल्क, पटियाला के तिल्ला जुती, कन्नौज के धूप बत्ती, राजस्थान (बीकानेर) के पापड़, बड़ी, भुजिया, नमकीन, इटावा के चूर्ण, कानपुर के लेदर, सहारनपुर का फर्नीचर घरेलू वस्तुएं एवं अन्य ग्रामोद्योगी उत्पाद के अतिरिक्त माटीकला के अन्तर्गत उत्पादित वस्तुए व अन्य राज्यों जनपदों से आये हुए उत्पाद रियायती दर पर उपलब्ध है। श्री पाल ने बताया कि प्रदर्शनी में अबतक आठ दिनों 56.00 लाख की बिक्री हो चुकी है।
श्री पाल ने जनमानस से आग्रह किया है कि प्रदर्शनी में अधिक से अधिक संख्या में पधारकर स्टाल धारकों से खरीदारी करें, और प्रदर्शनी में सांध्य काल आयोजित सांस्कृति का आन्नद उठायें।

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