अक्टूबर 2022 में दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में अन्य विषय के साथ उर्दू में भी सहायक प्राध्यापक (assistant professor) के लिए आवेदन प्राप्त किया गया था। लगभग डेढ़ साल बाद आवेदकों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया । 03 व 04 फरवरी को साक्षात्कार होना है । मज़े की बात ये ही कि पहले दिन 180 आवेदकों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया है।
अब प्रश्न ये है कि एक दिन के अधिक से अधिक 6 घंटे में सहायक प्राध्यापक के लिए 180 आवेदकों से प्रश्न किए जायेंगे इस हिसाब से एक उम्मीदवार को मात्र 2 मिनट ही मिलेंगे। इस 2 मिनट में आवेदकों को आना और जाना भी है। क्या साक्षात्कार में सिर्फ नाम पूछ कर वापस कर दिया जायेगा ? क्या 2 मिनट से कम समय में उम्मीदवारों की योग्यता का विश्लेषण किया जा सकता है ?
उत्तर है – निस्संदेह नहीं !
तो फिर इस कैसे संभव है और ऐसा क्यों किया जा रहा है ?
उत्तर है – भ्रष्टाचार
UGC द्वारा जारी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि अगर आवेदक अधिक हों तो यूजीसी के उपलब्ध टेबल के अनुसार API मेरिट तैय्यार की जाए और मेरिट के अनुसार सीमित आवेदकों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए। अब समय ये है कि उर्दू के ठेकेदारों ने जिन लोगों से रिश्वत ले रखी है या आपने जिन अयोग्य चहेतों को वो पद दिलवाना चाहते हैं वो मेरिट में नहीं आते इसलिए सभी आवेदकों को साक्षात्कार के लिए बुला लिया जाता है और खानापूरी कर के अपने पसंदीदा अयोग्य लोगों को अपॉइंटमेंट दे दिया जाता है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के ने कॉलेजों में भी ऐसे भ्रष्टाचार हो चुके हैं।
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